पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – १५ (15)

पलाश और कुसुम

पलाश के जाते ही कुसुम रोने लगती है। अशोक और शीला आगे आते है। अशोक कुसुम से कहता है, “अरे रो मत, अभी दिमाग गरम है, बाद में ठीक हो जाएगा।” कुसुम चुपचाप घर आ जाती है। रात को शब्बीर ने कहा, “कुसुम, सुना है गाँव में चांदनी रात बहोत खूबसूरत लगता है दिखने में, … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – १४ (14)

पलाश और कुसुम

कुसुम के पिताजी अब्दुल हसनआज दुकान नहीं गए। वैसे उनके न जाने से कुछ खास फरक नहीं पड़ेगा। दो बावर्ची, चार कर्मचारी उनके होटल में काम करता है। वो सिर्फ कैश पर बैठते है। आज उनकी बड़ी बेटी मुन्नी शहर से आ रही है। साथ में उसका पति सईद और देवर शब्बीर आ रहा है। … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – १३ (13)

पलाश और कुसुम

पलाश कुसुम का हाथ पकड़कर झाड़ी के पीछे बैठ जाता है। कुसुम डर के मारे रो पड़ती है, “पिताजी को पता चला तो मार ही डालेंगे पलाश भईया।” पलाश के सीने में भी धक् धक् हो रहा है। वो कुसुम को पाना तो चाहता है, लेकिन इस तरह रात के अँधेरे में पकड़ा जाकर नहीं। … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – १२ (12)

पलाश और कुसुम

पलाश झाड़ी के पास जा कर खड़ा हुआ है। कुसुम हिचकिचाकर आगे बढ़ती है, बगैर प्यार के एक लड़का और एक लड़की के रात को मिलने का क्या मतलब है? कुसुम को कोई मतलब वतलब पता नहीं, लेकिन पलाश के पागलपन में शामिल होना अच्छा लगता है, हाला कि डर भी लगता है बाद में। … Read more