ठीक रात के बाराह बजे पलाश आया। कुसुम के खिड़की के पास जाकर खटखटाकर खड़ा रहता है, फिर से खटखटाया, बारबार खटखटाता है, लेकिन कुसुम खोल नहीं रही है।
कुसुम अँधेरे में खिड़की के तरफ देखती हुई बिस्तर पर लेटी हुई है। पलाश ने कहा था के वो आएगा, इसीलिए नींद नहीं आ रही थी। पलाश के आते ही उसका सीने में दर्द उठने लगता है। पलाश जो खटखटा रहा है कुसुम तो नहीं खोलेगी, क्यू खोले? चक्कर चलाएगा अपने बुआ कि बेटी के साथ, और रात को मिलने आएगा उसके साथ! खिलौना समझा है क्या! वो चुपचाप लेटी रहती है।
पलाश जानता है के कुसुम जगी हुई है। पलाश आएगा ये जानते हुए कुसुम सो नहीं सकती। लेकिन खिड़की क्यू नहीं खोल रही? पलाश मुस्कुराकर खिड़की के साथ चिपककर फुसफुसाकर कहता है, “ए कुसुम, खोल ना ।”
“कुसुम।”
“अरे ए कुसुम।”
पलाश बोहोत देर तक खड़े रहकर छह सिगर्रेट ख़तम कर लेता है। लेकिन कोई जवाब नहीं। यहाँ खड़े हुए एक घंटा होने चला। इस लड़की को दया नहीं आती? इतनी सी शरीर में इतना गुस्सा? पलाश अब ज़ोर से मारता है खिड़की पर।कुसुम डर के मारे उठकर बैठ गयी और खिड़की खोल दी। पलाश चुपचाप खड़ा है। वो जो उससे मिलने के लिए इतना पागलपनती करता है, ये कुसुम को बोहोत अच्छा लगता है। फुसफुसाकर कहता है, “क्या है? इतनी रात गए ऐसा क्यू कर रहे है?”
पलाश हुकम से कहता है, “बाहर आ।”
कुसुम बोली, “नहीं आयूंगी, चले जाइये।”
“मैंने कहा, आ।”
“जाइये, नहीं तो पिताजी को बुलायुंगा।”
पलाश मुँह बनाकर कहता है, “पिताजी को बुलायुंगा! मैं डरता हूँ तेरे बाप से? जा बुला।”
कुसुम कुछ बोली नहीं, इसीलिए पलाश बोलै, “सिर्फ दो मिनट के लिए आ।”
कुसुम सिर हिलाकर बोली, “कभी नहीं।”
पलाश पैर दुखने लगा है, “इतनी देर क्यू नहीं खोली बद्तमीज़?”
“मैं क्या आपकी प्रेमिका हूँ जो रात को मिलु? जिससे प्यार करते है उसीसे मिलने जाइये।”
अँधेरे मैं पलाश को कुसुम का चेहरा धुंदला सा दीखता है। बच्ची को अभिमान हुआ है, वो भी किससे, जिसे इतने दिनों तक इतना डरती थी उससे, क्या बात है। पलाश अपने घुंगराले बालो पर हाथ फिराकर फुसफुसाकर कहता है, “अभिमान हुआ है?”
कुसुम मुँह फेर लेती है।पलाश नम आवाज़ में कहता है, “पास नहीं आएगी तो अभिमान मिटाऊ कैसे? बाहर आ ना।”
कुसुम पलाश के और देखती है। उसके आँखों में कुछ तो है जिसे देखते ही कुसुम की शरीर को ठण्ड पड़ जाती है। सिर हिलाकर कहा, “नहीं।”
“खिड़की पर इतने ज़ोर से पीटूंगा के तेरे माँ बाप दोनों आ जायेंगे। पीटू?”
कुसुम पलाश को देखे जा रही है । ये ज़िद्दी लड़का जो कहता है वही करता है। बाहर निकलने के लिए धमका रहा है, खड़ूस कही का! कुसुम सिर हिलाकर धीरे धीरे दरवाज़ा खोलकर बाहर आ जाती है।
To be Continued……………………