पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ८ (8)

पलाश और कुसुम

पांच मिनट तक सोचता रहा। सिगेरट फेंक कर कुसुम के खिड़की पर खटखटाता है कई बार, धीरे से बुलाती है, “कुसुम, ए कुसुम” कुसुम जागी हुई थी, खटखटाना सुनकर उठकर बैठ गयी। पहली बार सुनते ही उसे लगा पलाश आया है। वो कुछ देर वैसे ही बैठी रही। तभी पलाश की आवाज़ सुनी, लाइट नहीं … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ७ (7)

पलाश और कुसुम

कुसुम छटपटा रही है। सोने की कोशिश कर रही है, पर नींद नहीं आ रही। रात को ठीक से खाना भी नहीं खा पाई थी। पलाश की नशीले नज़रो को वो भूल नहीं पा रही है,उसकी शरीर ठण्ड पड़ने लगती है, आँखों में दर्द महसूस होता है। पता नहीं क्यू ये नासमझ दिल पलाश को … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ६ (6)

पलाश और कुसुम

“अच्छा, सुबह शीला जो गाना गा रही थी, एक बार फिर से गा ज़रा।” कुसुम को वो गाना आता है, पर पलाश के सामने कैसे गाये। कभी किसी लड़के के सामने उसने गाना नही गाया, वो भी ऐसा गाना, ऊपर से पलाश के सामने, कभी नही। सिर हिलाकर बोली, “मुझे नही आता।” पलाश को पता … Read more

पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ५ (5)

पलाश और कुसुम

“दिल के बगीचे में फूल तो खिला, पर भवरे का पता नहीं” कुसुम की उदासी मिटाने के लिए शीला उल्टा सीधा गाना गा रही है। हिजल के पेड़ के नीचे आते ही शीला चुप हो जाती है। पलाश उसी को देख रहा है, कही सुन तो नहीं लिया ? कुसुम और शीला सिर झुकाकर चली … Read more