पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ३ (3)

ग्यारवी में पढ़नेवाली कुसुम डरते हुए चिट्ठी को हाथ में लेती है। सिर नीचे करके चुपचाप कॉलेज ख़तम करके घर की रस्ते पे चल परती है। इस वक़्त पलाश चौक पर हीजल के पेड़ के नीचे अपने दोस्त अशोक, रोहित और विकास के साथ गप्पे मरता हैं। रोज़ ऐसा ही होता है। क्या पता आज है के नहीं! शीला पटर पटर किये जा रही है, लेकिन कुसुम परेशान हुए जा रही हैं। चौक पर आकर देखती हैं कि पलाश बाइक पर बैठा हुआ है और उसके दोस्त हीजल के पेड़ के मोटे शिखरों पर बैठे हैं। कुसुम वहा जाके ठहरती है। अशोक इशारे से कुसुम को दिखाता है। पलाश कुसुम को देखकर कहता है, “क्या चाहिए?”

कुसुम बिना कुछ बोले किताब में से लिफ़ाफ़ा बढाकर कहती है, “नैना दीदी ने दिया है।”

29 साल के पलाश को समझ आ जाता है के लिफ़ाफे में क्या हो सकता है। शांत आँखों से वह कुसुम को देखता हैं और कहता हैं, “पढ़।”

कुसुम समझी नहीं, “क्या?”

“यहाँ क्या लिखा है, वो पढ़,”।

कुसुम पढ़ती है। पूरी चिठ्ठी में लिखा है कि वह पलाश से प्यार करती है। पलाश खड़ा हो जाता है। कुसुम के सामने आकर कहता है, “सुबह के दस बार, अब दस बार, कुल मिलाकर बीस बार कान पकड़कर उठक बैठक कर।”

शिला अपने भाई अशोक को देखकर हिम्मत करते हुए पूछती है, “दस बार बढ़ क्यों गया, भईया?”

पलाश मोबाइल पॉकेट में रखते हुए कहता है, ” पियोन बनने के लिए।”

कुसुम बेचारी नज़रो से देखती है। यह लड़का ऐसा क्यू करता हैं उसके साथ? क्यों? इतने सारे क्यू का जवाब कुसुम के पास नहीं है। कुसुम के आँखों में आंसू आ जाते है। पलाश कुछ देर के लिए चुप हो जाता है और नदी की जैसी इस शांत लड़की को देखता रहता है। यह लड़की इतनी नासमझ है? एक लड़के की आँखों को पढ़ना इतना मुश्किल होता है? होता होगा। पलाश तो कभी अपना दिल खोलकर दिखाया नहीं। तो जानेगी कैसे? पलाश अपने बालो पर हाथ फिराकर कहता हैं, ” अच्छा चल, माफ कर दिया। लेकिन डांस वांस कैंसल। ओके?”

कुसुम सिर झुकाकर आ जाती है। यह लड़का उसे एक आँख नहीं भाता। कॉलेज का फंक्शन हो चूका है, कुसुम डांस नहीं कर पायी। गुस्से से, दुख से पाँच दिन तक घर से बाहर नहीं निकली। बीमारी का बहाना बनाकर बिस्तर पर पड़ी रहती है।

रिजवान अली कमलापुर गांव के चेयरमैन हैं। राजनीति इनके खानदान के खून में दौडता है, सिर्फ उनके बड़े बेटे पलाश को छोड़कर। उसे यह सब बिल्कुल पसंद नहीं है, सीधी सधी ज़िन्दगी चुना है अपने लिए। अभी वह सरकारी कॉलेज के अंग्रेजी टीचर हैं। रिजवान अली राजनीति को किसी भी तरह छोड़ना नहीं चाहते है, इसलिए उन्होंने अपने छोटे बेटे को ही राजनीतिक कामों में बढ़ावा देकर उनके गद्दी के पास खास जगह दे दी है। पलाश अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है। सिर्फ 29 साल के उम्र में ही, स्टूडेंट लीग के लीडर बन चूका है। घर के सभी लोग पलाश को मानते हैं। आदत से गंभीर है, लेकिन जब गुस्सा आ जाता है, तो लोगों के दिल की धड़कन रुक जाती है, और पलाश के सामने से हट जाते है। इतने पत्थर दिल पलाश का भी एक कोमल दिल वाली इंसान है जिसे अपने दिल के छोटे से कमरे में बोहोत सालो से सेहज के रखा है, जिसे बिना देखे पलाश कमज़ोर पड़ जाता है, बेचैन हो जाता है । अभी बिलकुल यही हाल हैं पलाश का। मुँह में सिगरेट लेके हीजल के पेड़ के चारो ओड़ कई चक्कर लगा चूका है। आज भी नहीं दिखी। बेचैनी मानो आसमान छू रहा है। काले ट्राउजर की जेब में से एक और सीगरेट निकालता हैं। कुसुम आजकल बहोत जिद्दी हो गयी है। पहले की तरह बात नहीं मानती, सामने नहीं आती, लेकिन पलाश को तो देखना है, आँखों को ठंडक पोहचानी है। कौन समझाए इस लड़की को? सिर्फ नाचने से मना क्या किया, कॉलेज जाना ही छोड़ दिया? अशोक से कहकर शिला को कई बार भेजा था, लेकिन वही बीमारी का बहाना। यहाँ पलाश का हाल कौन समझाए ? शाम हो चुकी है पहले ही, रात बढ़ने वाली है, पलाश हीजल के पेड़ के नीचे बैठा है चुपचाप, अशोक आता है, “क्लब नहीं चलेगा?”

To be continued……………………..

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