पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ६ (6)

“अच्छा, सुबह शीला जो गाना गा रही थी, एक बार फिर से गा ज़रा।”

कुसुम को वो गाना आता है, पर पलाश के सामने कैसे गाये। कभी किसी लड़के के सामने उसने गाना नही गाया, वो भी ऐसा गाना, ऊपर से पलाश के सामने, कभी नही। सिर हिलाकर बोली, “मुझे नही आता।”

पलाश को पता है की कुसुम को गाना आता है। इसीलिए ज़ोर डालते हुए कहता है, “जल्द ही गा।”

पलाश और कुसुम

कुसुम ने बोहोत मिन्नतें की, लेकिन कोई फायदा नही हुआ। गाना गाये बिना पलाश उसे जाने नही देगा। दोनों को अकेले बाते करते हुए कोई देख लिया तो मुश्किल हो जाएगा। कुसुम अपनी आँखें बंद कर लेती है। धीरे से गाती है, ” दिल के बगीचे में फूल तो खिला, पर भवरे का पता नहीं”

पलाश दोनों हाथ जेब में डालकर एक कदम आगे बढ़ाया और कहा,

“अच्छा! इस गाने का मतलब क्या है?”

एक और पल नही रुकी कुसुम, घर की ओर दौड़ लगाती है। उसने सोचा भी नही था की पलाश उसे इतनी शर्मिंदगी में दाल देगी।

पलाश आज बहोत खुश है। जो लड़की कभी आँख भी नही उठाती थी, उसने आज नज़रे मिलायी, और तो और मुड़कर भी देखा। क्या इंतज़ार का पल ख़तम होने वाला है ? पलाश के चेहरे पर जीत की ख़ुशी है। घर पर किसीको कुसुम के बारे में नही पता, वरना तूफान आ जायेगा, वो जानता है। लेकिन पलाश को किसी तूफान का परवाह नही है, उसे उलटी दिशा में तैरना ही पसंद है। पलाश बहोत परेशान रहता है, कुसुम को अपने पास पाना चाहता हैं, लेकिन वह तो अभी भी एक छोटी सी बच्ची है। पलाश मुसकुराता है। पागलपन करने की उम्र उसका है, कुसुम का नही। लेकिन कुसुम जैसे अचानक से बड़ी हो गयी है, और आज तो खुद ही नज़रे भी मिलायी है, यही सब सोचते हुए पलाश घर पोहोचता है।

एक मंज़िल घर के आँगन पर पोहोचते ही एक लड़की दौड़ कर पलाश से लिपट जाता है। पलाश अपनी आँखे बंध कर लेता है।

To Be Continued……………….

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