पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – ७ (7)

कुसुम छटपटा रही है। सोने की कोशिश कर रही है, पर नींद नहीं आ रही। रात को ठीक से खाना भी नहीं खा पाई थी। पलाश की नशीले नज़रो को वो भूल नहीं पा रही है,उसकी शरीर ठण्ड पड़ने लगती है, आँखों में दर्द महसूस होता है। पता नहीं क्यू ये नासमझ दिल पलाश को पास चाह रहा है, एक नज़र देखना चाहता है। क्या आज भी पलाश बेपरवाही से मिलने कहेगा ? कुसुम खुद ही शरमा जाती है, पलाश ने कभी नहीं कहा की वो उससे प्यार करता है, और कुसुम ये सब सोच भी चुकी है। आज सुबह तक इस लड़के से वो नफरत करती थी, और अभी पलाश का नाम जपे जा रही है। यही सब सोचते सोचते कुसुम को नींद नहीं आती। क्या मुसिबबत है ! ऐसा क्यू लग रहा है ? पलाश ने कोई जादू टोना तो नहीं कर दिया ! अँधेरे में भी उसकी आँखे खुली हुई है। उसका दिल कह रहा है के आज भी वो आएगा, इसीलिए वो सो नहीं पा रही है।

राहत अली की एक बेटी और एक बेटा है। सदियों से राजनीति करते आ रहे है। पुरे गाँव में उन्ही का राज था। बेटे का नाम रिजवान अली, बेटी का नाम आरफा। गाँव में जैसा रुतबा था, घर पर भी वैसे ही कड़ी निगरानी रखते थे। राहत अली की बीवी पारस बेगम बोहोत घमंडी औरत है। उनका कहा सब ही को मानना पड़ता है, खासकर रिजवान अली की बीवी रज़िया को। रज़िया खुद सास बनने की कगार पर है, लेकिन पारस बेगम की तीखी बातें अभी भी उनको रुला देती है। आरफा की शादी हुई है शहर मे। उसकी एक बेटी और एक बेटा हैं। बेटी है स्वीटी, इक्कीस साल की, ऑनर्स पढ़ रही है। बेटा रौनक, क्लास टेन में। आज दोपहर को सब लोग गाँव में आये हैं घूमने। स्वीटी पलाश को पसंद करती है, सिर्फ पसंद नहीं, बेहद प्यार करती है। कभी बोली नहीं, लेकिन मौका मिलते ही गर्लफ्रेंड की तरह पलाश से चिपक जाती है। दोपहर को जब पलाश से मुलाकात नहीं हुई, तो वो बोहोत उदास हो गयी थी। शाम को बाइक की आवाज़ सुनते ही दौड़कर बाहर जाकर पलाश से लिपट जाती है।

खुशहाल पलाश पल में ही ठहर जाता है। इसीलिए ये बदतमीज़ लड़की उसे बिलकुल पसंद नहीं, जब देखो तब लिपट जाती है। शरम तो लड़कियों का गहना होता है, और ये लड़की ? अपने दादा, बुआ और पिताजी के लिए कुछ बोल नहीं पाता, उन सब की लाडली है स्वीटी।

पलाश उसे हटाता है, गंभीरता से कहता है, “थका हु, हठ”।

स्वीटी कहती है, “कब से आयी हुई हु, कहा थे तुम ?”

पलाश और कुसुम

पलाश जवाब नहीं देता है, चिल्लाकर अपनी माँ को बुलाता है, “माँ, ज़रा ठंडा पानी लाना।”

रज़िया फ्रीज से पानी लेकर आती है। पलाश नाराज़गी से कहता है, “माँ, मैं रेस्ट करने जा रहा हूँ, कोई बुलाये न।”

रज़िया समझ जाती है, बेटा स्वीटी को बिलकुल पसंद नहीं करता है। खूबसूरत है, लेकिन ये बेशरम लड़की उनको भी पसंद नहीं। पलाश तेज़ी से अपने कमरे में चला जाता है। स्वीटी रोते हुए कहती है, “पलाश भईया ऐसे क्यू है मामी ?”

रज़िया हंसकर बोली, “अरे, सारा दिन इधर उधर घूमता रहता है न, इसीलिए। कल बात कर लेना।”

स्वीटी मुसकुराती है, अब तो पलाश को बताना ही पड़ेगा जो उसके दिल में है।

शाम गुज़रकर रात आती है, पलाश अपने  प्यार के पास जाने के लिए बेचैन हो जाता है। उसकी आँखे ढूंढ रही है उस चेहरे को, उन आँखों को जो उसके अंदर के प्यार को और भी पक्का कर चूका है। मोबाइल लेकर कुसुम की तसवीरें देखता है, लेकिन प्यास नहीं बुझती, उल्टा और बढ़ जाता है। इस लड़की के आँखों का वार ऐसा हैं, तो दिल का वार कैसा होगा। पलाश फ़ोन के स्क्रीन को चूमता है। फोटो पर चूमने से क्या आदमी को पता चलता है ? सायद नहीं, पता चलता तो कुसुम तो फिर कभी पलाश के सामने आती ही नहीं। मोबाइल बगल में रख कर पलाश आँखे बंध कर लेता है, पर सो नहीं पाता। इतने दिन तो सम्हाल लिया था, लेकिन आज कुसुम के ऐसे देखने से उसका दिल बिमार पड़    गया। रात के दो बजे वो उठकर बैठ जाता है। प्यार में पढ़ने पर इंसान पागलपनती करता है, पलाश ने भी किया, टी-शर्ट पहनकर, सिगेरट और लाइटर हाथ में लिए निकल गया। पलाश के घर से कुसुम के घर तक आने में २० मिनट लगता है। पलाश पोहोचकर कुछ देर खड़ा रहता है, कुसुम के पास तो फ़ोन नहीं है, बुलाएगा कैसे ?

To be Continued……………….

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