पलाश और कुसुम की कहानी : एपिसोड – २ (2)

कुसुम बीती हुई बातों से निकलकर, चारों ओर देखती हैं, कॉलेज के कई स्टूडेंट्स इस रास्ते से जा रहे हैं, सबकी ध्यान कुसुम की तरफ ही हैं। सब लोग बार-बार मुड़कर देख रहे हैं, और इस बार-बार देखने का असली वजह है पलाश। गोरे बदन पर काली शर्ट, हट्टाकट्टा नौजवान, सभी की नजरें उन पर बार बार जाती हैं। कुसुम ने ध्यान से चारों ओर देखा, उसकी दुश्मन तानिया भी उसीको देख रही है, अभी उसे उठक बैठक करते हुए देख ली तो कॉलेज की ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाएगी, यह  सोचते ही उसे शर्म के मारे रोना आ जाता हैं, कहती हैं, “बाद में करूँ।”

पलाश कुछ देर कुसुम की नम आंखों को देखते हुए शिला से पूछता हैं, “आज इतनी जल्दी क्यों आयी कॉलेज में ??” शिला अब तक सांस रोक कर रखी थी, पलाश के पूछने पर कहती है, ” भईया, हमारे कॉलेज में एनुअल  स्पोर्ट्स कम्पटीशन है। हम ग्रुप डांस करेंगे, उसीके प्रैक्टिस  के लिए जल्दी जा रहे थे।”

पलाश को पता हैं इस फंक्शन के बारे में। वह कुसुम की तरफ देखता है, ” यह बच्ची भी डांस करेगी?” शिला सिर हिलाकर कहती है, “क्या बोल रहे है भईया! यही तो Main Roll में रहेगी।”

पल में ही पलाश आँखे गरम करते हुए गुस्से से कहता हैं, “कुसुम, तू नहीं नाचेगी, वरना देख  लेना।”

कुसुम हैरान हो जाता हैं, यह क्या बात हुई ! इतने दिनों तक प्रैक्टिस किया, अभी डांस नहीं करेगी ? उसने गुस्से से कहा “मैं तो करुँगी”।

कुसुम की बात सुनकर पलाश को और गुस्सा आ जाता है, वो एक कदम आगे बढ़ाता हैं और कहता हैं, “ठीक है! जा,नाचकर दिखा।”

कुसुम समझ गयी, उसके आँखों में आंसू आ गये, शीला को पीछे छोड़कर, कॉलेज की ओर तेज़ी से बढ़ गयी। हमेशा ऐसा ही होता हैं। कुसुम के सारे मामलों में टांग अराना जैसे पलाश का आदत बन चूका हैं। शीला चौंक जाती है और कुसुम के पीछे दौड़ने लगती है। सायद पलाश को कुछ न बोलने से ही अच्छा होता। कुसुम के पास पोहोचते ही वह दाँतों को पीसते हुए बोलती हैं “जब देखो, पलाश भईया पलाश भईया करके दिमाग खाती रहती हैं, अब मिल गयी चैन? चमची कही की !”

शीला आँखे झुका कर कहती है,

” मुझे क्या पता था वह मना कर देंगे?”

कुसुम गुस्से से अपने ही हाथो को नोच देती हैं । कॉलेज पहूचकर एक और मुसिब्बत, ओनर्स क्लास की नैना कुसुम को बुलाकर पूछती है, “पलाश भईया तेरे कौन लगते  हैं ?”

“कोई नहीं, एक ही गाँव में घर हैं, इस लिए भईया बुलाती हूँ ।”

“रस्ते में देखा बहोत देर तह बाते कर रही थी।”

शीला पास में से बोली,

“दीदी, भईया कॉलेज के फंक्शन के बारे में पूछ रहे थे ।”

“ओह अच्छा। कुसुम मेरा एक काम कर देगी?”

कुसुम बोली, “क्या, दीदी?”

नैना किताब में से एक लिफ़ाफा निकालकर कहती हैं,

“यह पलाश भईया को दे देना।”

कुसुम लिफ़ाफ़े को देखकर सिर हिलाते हुए कहती हैं,

“मैं नहीं कर सकती ।”

नैना का पिता कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। इस बात का वह हमेशा तेवर दिखाती है। कुसुम को तीखी नज़रों से देख कर कहती हैं “नहीं मानी तो एग्जाम में फेल करवा दूंगी।”

To be continued……………………..

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